Best hindi story | कर्मों का फल कैसा होता है जानिए। सच्ची घटना पर आधारित कहानी।

कर्मों का फल कैसा होता है। हिंदी कहानी सच्ची घटना पर आधारित (Best Hindi story, Motivational hindi story, story for kids and youth, moral story in hindi)

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कर्मों का फल (Best Hindi story)

क्या कर्मों का फल सभी को मिलता है क्या वह फल अच्छा होता है या बुरा क्या बुरे कर्मों के फलों से बचा जा सकता है ऐसे सवाल हर किसी के मन में उठते हैं हमेशा से एक विश्वास चला आ रहा है कि अच्छे कर्मों का फल अच्छा और बुरे कर्मों का फल बुरा मिलता है 

अब आपकी धारणा या जीवन में अनुभव कुछ भी हो सकता है इस पर हम कोई भी विवाद न करते हुए यह कहानी इस विषय पर आपको बताते हैं।

कर्मों का फल कैसा होता है। (motivational story)

बात बहुत पुरानी नहीं है एक छोटे से शहर की सेवा के बाहर एक पहाड़ था और उसके आस पास बहुत सारी खाली जमीन थी जहां पर कोई नहीं रहता था शहर में एक कलाकार रहता था जिसकी बहुत ज्यादा रचनात्मक सोच थी और और अध्यात्मा में गहरी रूचि भी थी

एक बार घूमते घूमते पैक कलाकार उस पहाड़ के पास जा पहुंचा उसके मन में विचार आया क्यों ना पहाड़ से गिरे हुए इन पत्थरों से कुछ देवी देवताओं की मूर्तियां बनाऊं अब उस जगह पर रोज आने लगा। और उसने उन पत्थर को तराश कर सुंदर सुंदर मूर्तियां बना डाली मूर्तियां देखने में वाकई में बहुत Beautiful थी 

धीरे-धीरे यह बात पूरे शहर में फैल गई पहले तो कुछ लोग आए लेकिन धीरे-धीरे वहां पर बहुत सारे लोग उन मूर्तियों को देखने के लिए आने लगे कुछ लोगों ने पैसे इकट्ठा करके कलाकार को दिए और उसने एक मंदिर रूपी भवन का निर्माण भी करवा लिया और उन मूर्तियों को वहां रखवा दिया।

धीरे-धीरे उस शहर और आसपास के गांव में भी उस मंदिर मैं रखी मूर्तियों की बात फैल गई अब वह स्थल एक धार्मिक और आध्यात्मिक स्थान बन चुका था लोग दूर-दूर से आने लगे अब तो मानो रोज ही वहां भीड़ रहती थी और श्रद्धालु आदमियों ने मूर्तियों के आगे धन भी चढ़ाना शुरू कर दिया धीरे-धीरे दिन बीते चले गए और वहां पर चढ़ाए गए चढ़ावे से तिजोरिया बढ़ती चली गई।

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उस स्थान की लोकप्रियता को देखते हुए लोग अपने अपने काम भी वहां पर जमाने लगे जैसे कि वहां पर टैक्सी वालों ने गाड़ियां चला दी और दुकानदारों ने आसपास खाने पीने का और अन्य सामान बेचना शुरू कर दिया यहां तक कि बिल्डरों ने भी प्रॉपर्टी डेवलप करके भेजने शुरू कर दी कुछ वर्षों बाद कारीगर अर्थात जोश भवन का मालिक था वह अचानक बीमार पड़ गया।

डॉक्टरी जांच के बाद पता लगा उसे कोई भयानक और जानलेवा रोग है और डॉक्टर ने उसे यहां तक कह दिया कि अब उसके पास कुछ ही दिन बचे हैं जब सब कुछ इतना अच्छा चल रहा था उस समय यह भयानक रोग यह सोच कर वह इंसान बहुत दुखी हो गया और वह रोता ही रहता था अब वह अक्सर भगवान को ताने देने लगा कहता था कि मैंने तुम्हारी इतनी सेवा करी तुम्हारे लिए इतना प्रचार करें और बदले में तुमने मुझे यह फल दिया यह तो सरासर अन्याय है

फिर एक रात उसने एक सपना देखा जिसमें भगवान उसके सामने आए और बोले तुम मुझे किस बात के ताने दे रहे हो ठीक है तुमने मेरे नाम से भवन का निर्माण कराया और मूर्तियां भी बनाई।

परंतु याद करो वह दिन जब एक अनाथ बच्चा तुम्हारे पास रोते बिलखते हुए आया तो तुमने उसे अपना गुलाम बना डाला 

याद करो और बूढ़ा भिखारी जिसे तुमने सहारा और खाना देने की वजह धक्के मार कर दूर भगा दिया 

और याद करो वह दिन जब बहुत वर्षा हो रही थी तब तुमने एक मां को उसके छोटे से बच्चे को मंदिर के प्रांगण से यह कह कर हटवा दिया कि अब मंदिर बंद करने का समय हो रहा है वह दोनों बहुत देर तक बारिश में भीगते रहे 

याद करो जब कुछ बुजुर्ग इकट्ठा होकर तुम्हारे पास धन की मदद मांगने आए जिससे वह गरीबों के लिए एक स्कूल खोलना चाहते थे धन तो तुम्हारे पास पर्याप्त था परंतु तुमने कहा जाओ सरकार से मदद मांग लो 

क्या तुमने अभी भी एक विधवा महिला को बंधुआ मजदूर की तरह नहीं रखा हुआ है पूरा दिन तुम उस से काम लेते हो और बदले में देते हो केवल दो रोटी। 

भगवान ने पूछा कितने सारे बुरे कर्मों के बाद तुम मुझे किस अधिकार से ताने दे रहे हो तुम्हें तुम्हारे कर्मों का फल तो भोगना ही पड़ेगा तुमने जो दुष्कर्म किए हैं उसका दंड भी तुम्हें अवश्य मिलेगा बस उसी समय कलाकार की नींद खुल गई और अब उसकी आंखें भी खुल चुकी थी अब वह अपने द्वारा किए गए बुरे कर्मों की वजह से वह शर्मिंदा था। अब वह कलाकार क्या करता अब वह मजबूर था कर्मों का फल भुगतने के लिए।

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दोस्तों हमें इस कहानी से बहुत अच्छी सीख मिलती है हम जैसा करते हैं उसका फल हमें किसी ना किसी रूप में जरूर मिलता है अब यह पर अच्छा होगा या बुरा यह मनुष्य के अच्छे और बुरे कर्मों पर ही निर्भर करता है

एक बहुत अच्छी कहावत है कि जैसा बोवगे वैसा काटोगे अगर बबूल का पेड़ बोया है तो हम आम नहीं खा सकते हमको कांटे ही मिलेंगे इसलिए हमेशा परोपकारी और शुभ कर्म ही करते रहना चाहिए और निष्काम भावना से दूसरों की मदद भी करनी चाहिए।

भगवत गीता में भी कहा गया है कि कर्म करो फल की चिंता मत करो

तो दोस्तों कैसी लगी कहानी मैं आशा करता हूं आपको इस Story से कुछ सीख जरूर मिली होगी ऐसी ही Best hindi story और अन्य जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट को सब्सक्राइब करें। अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद आपका दिन शुभ हो।

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