जातक कथा: चांद पर खरगोश | The hare on the moon story in hindi

नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सब। हम आज आपके लिए लेकर आए हैं एक जातक कथा चांद पर खरगोश की कहानी इस Hindi kahani में हमने खरगोश के महादान का वर्णन किया है कैसे खरगोश ने अपना शरीर त्याग दिया। आप भी इस Hindi story को पढ़िए और मनोरंजन करिए 

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जातक कथा : चांद पर खरगोश | The hare on the moon story in hindi

बहुत समय पहले की बात है गंगा किनारे एक जंगल था उसमें चार दोस्त रहा करते थे बंदर, सियार, खरगोश, ऊदबिलाव। इन सभी दोस्तों की एक दिली इच्छा थी इनको सबसे बड़ा दानवीर बनना था फिर एक दिन इन चारों दोस्तों ने एक फैसला किया वह कुछ ना कुछ ऐसा ढूंढ कर लाएंगे जिससे वह दान कर सके और सबसे बड़े दानी बन जाए। यह फैसला करके चारों मित्र अपने घर से निकल गए।

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जो ऊदबिलाव था वह गंगा के तट से 7 मछलियां लेकर आ गया जो लाल रंग की थी। और जो सियार था वह मांस का टुकड़ा और दही से भरी हुई हड्डी लेकर आया। फिर जो बंदर था वह उछलता हुआ बाद में से आम का गुच्छा लेकर आ गया पूरा दिन ऐसे ही बीत गया था लेकिन खरगोश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था उसने सोचा कि अगर मैं घास का दान करूंगा तो मुझको उसका कोई लाभ नहीं मिलेगा यह सोचकर खरगोश खाली हाथ ही वापस आ गया।

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जब खरगोश के दोस्तों ने खरगोश को खाली हाथ देखा तो उन्होंने खरगोश से कहा कि तुम खाली हाथ क्यों आए हो तुमको पता है ना आज का दिन दान करने से महादान का लाभ मिलेगा खरगोश बोला था मुझको पता है इसलिए मैंने आज खुद को दान करने का फैसला किया है खरगोश की यह बात सुनकर उसके सभी दोस्त हैरान हो गए और जब इस बात की खबर इंद्र देवता तक पहुंची है तो वह धरती पर आ गए जो इंद्र देवता थे वह साधु का भेष बनाकर आए थे और चारों मित्रों के पास पहुंचे पहले सियार के पास पहुंचे फिर बंदर के पास और फिर उद्बिलाओ के पास इन सभी ने अपना-अपना दान इंद्र देवता को दे दिया फिर इंद्र देवता खरगोश के पास पहुंचे और बोले तुम क्या दान करोगे तब खरगोश बोला कि मैं खुद को दान करना चाहता हूं इतना सुनने के बाद इंद्रदेव ने अपनी शक्ति के बल पर आग जलाई और खरगोश को कहा तुम अपने आप को इस आग के हवाले करके दान कर सकते हो। 

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खरगोश भी हिम्मत करके उस आग के अंदर घुस गया इंद्र देवता भी यह देखकर हैरान हो गए फिर उनको यह एहसास हो गया कि इनमें से खरगोश सबसे बड़ा दानी है इंद्रदेव खरगोश के इस साहस को देखकर बहुत ही प्रसन्न हुए और उधर खरगोश आग के अंदर बिल्कुल सही सलामत खड़ा हुआ था फिर इंद्र देवता बोले मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा था यह अग्नि मायावी है इसलिए तुमको कोई नुकसान नहीं पहुंचा। 

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इतना कहने के बाद इंद्रदेव बोले तुम्हारा यह दान परम दान है तुम्हारे इस दान को पूरी दुनिया हमेशा याद रखेगी और मैं तुम्हारे शरीर का निशान चांद पर भी बनाऊंगा। इतना कहने के बाद इंद्रदेव ने एक पर्वत को मसल कर चांद पर खरगोश का निशान बना दिया इसी तरह चांद पर बिना पहुंचेगी चांद पर खरगोश की छाप छूट गई तभी से यह मान्यता है कि चांद पर खरगोश के निशान हैं।

इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी काम को करने के लिए आत्मविश्वास और कठोर शक्ति का होना जरूरी है।

निष्कर्ष।

हमारे द्वारा सुनाई गई कहानी चांद पर खरगोश | The hare on the moon story in hindi आपको पसंद आई होगी अगर यह कहानी आपको अच्छी लगी तो इसको ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं आपको यह कहानी कैसी लगी।

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