हजरत अली का जीवन परिचय, हजरत अली कौन थे, हजरत अली का जन्म कब हुआ || hazrat ali biography

हजरत अली का जीवन परिचय। 

Hazrat Ali Biography

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“हजरत अली” का जन्म 17 मार्च 600 में हुआ था तकरीबन 1400 साल पहले जन्मे इब्रे अबी तालिब जिनको हम हजरत अली भी कहते हैं।

हजरत अली जी “पैगंबर मोहम्मद साहब” जी की बेटी के पति भी थे हजरत अली जी को पहले इस्लाम के साइंटिस्ट भी कहा जाता था यानी कि “इस्लामिक साइंटिस्ट” होने का उनको श्रेय प्राप्त था  

हम इस लेख के अंदर हजरत अली जी की जीवनी और उनके द्वारा बोली गई शायरियां के बारे में बताया है हजरत अली जी को पहले खलीफा और इस्लामिक इमाम (first islamic imam) होने की उपलब्धि प्राप्त है अब हजरत अली जी के जीवन परिचय पर भी एक नजर डाल लेते हैं।

हजरत अली की जीवनी। 

(Hazrat Ali Biography)

जब जब काबे की दीवार खुली उसके बाद मक्का के सभी लोगों को भोजन दिया जाने लगा ताकि अल्लाह को खुश करके काबे का दरवाजा खोला जा सके। 

के लोगों के लिए है बात आश्चर्यचकित करने वाली थी हजरत अली जी का जन्म काबा में हुआ था जो हजरत अली जी के माता पिता थे हजरत अली जी के पिता अबू तालिब और उनकी गर्भवती पत्नी फातिमा उन दोनों की इच्छा थी कि वह अपनी संतान को काबा में ही जन्म दे।

जो हजरत अली जी की मां थी जिनका नाम फातिमा था वह काबे के अंदर दाखिल हो गई थी और जब उनको लोगों ने देखा तो तब वह एक छोटे से बच्चे के साथ बाहर निकल रही थी फिर वहां की सभी औरतों ने फातिमा को चारों तरफ से घेर लिया बस उनके दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा था कि मैं फातिमा जी से पूछे कि उन्होंने अपनी संतान का क्या नाम रखा है।

हजरत अली का जीवन परिचय।

(Hazrat Ali Biography)

फिर उसी वक्त काबा में एक आकाशवाणी हुई थी जिसमें कहा गया था कि वह अपनी संतान का नाम अली रखें फिर हजरत अली जी के माता पिता ने उनका अच्छे से पालन पोषण किया

यह उस समय की बात है जब इस्लाम का इतना प्रचार नहीं हुआ था लोग इस्लाम से अपरिचित थे यहां तक कि उनके माता-पिता इस्लाम को खुद के मुंह में खाना चबाकर खिलाते थे जिससे उनके बेटे को खाना चबाने में कोई तकलीफ ना हो

और उस समय उनके अब्बू हजरत अली जी को एक गुफा में ले जाया करते थे जिसका नाम मेरा पार्टी था वह हीरा पहाड़ी की गुफा थी उस गुफा के बारे में सिर्फ दो लोग जानते थे उनके अब्बू और पैगंबर मोहम्मद।

फिर वहां पर एक अजीब सी रोशनी आई और एक खुशबू के साथ वहां पर अल्लाह का फरमान हुआ उन्होंने कहा अपने रिश्तेदारों को और परिवार को इस्लाम का न्योता दो।

फिर पैगंबर जी ने अपने सभी परिवार वालों को और रिश्तेदारों को घर पर खाना खाने के लिए बुलाया उनके बुलाने पर वहां कई लोग आए लेकिन खाना कम था लेकिन फिर भी लोगों ने भरपेट खाना खाया या ऊपर वाले का इत्तेफाक मान लीजिए ऊपर वाले की मर्जी।

फिर दावत देने के बाद पैगंबर जी ने कहा की अल्लाह के हुक्म से सभी को इस्लाम की दावत में हम ने बुलाया है।

फिर पैगंबर ने अपनी बात का अनुसरण करने वाले को खड़ा होने को कहा और उन्होंने बोला जो मेरी बात का अनुसरण करेगा वह हमारा उत्तराधिकारी बनेगा फिर उन्होंने तीन बार अपनी बात दोहराई तभी एक व्यक्ति खड़ा हुआ जिनका नाम था हजरत अली।

हजरत अली जी पहले उत्तराधिकारी और अनुयाई बने फिर उन्होंने अपनी सारी शक्ति अपनी सारी ऊर्जा मोहम्मद जी के साथ लगा दी और फिर हजरत अली जी ही पैगंबर जी के पहले उत्तराधिकारी और इमाम बने।

हुनैन की जंग। (Battle of hunayn)

battle of hunayn: जो हुनैन की जंग हुई थी उस जंग का इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण स्थान है इस्लाम के शुरुआती समय में इस युद्ध की विजय प्राप्ति के बाद इनकी पकड़ और ज्यादा मजबूत हो गई थी वहां पर ताइफ नामक एक स्थान है जो सऊदी अरब का एक हरा भरा क्षेत्र है।

इस क्षेत्र के अंदर अंगूर की ओर गुलाब की बहुत खेती की जाती है और इस क्षेत्र के अंदर सुन्नी मुस्लिम की ज्यादा आबादी थी इनके अलावा अलग देशों के लोग भी वहां पर प्रवासी बनकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे।

मुस्लिमों और ताइफ शहर के लोगों के बीच हुनैन उनकी बहुत जबरदस्त लड़ाई चली इस लड़ाई में मुस्लिमों की जीत हुई फिर वहां के सभी लोगों ने इस्लाम को कबूल कर लिया।

वहां पर अल्लात का मंदिर तोड़ दिया गया था फिर हुनैन उनकी जंग में दुश्मन की सेना ने मुसलमानों को घेर लिया था फिर सभी लोग वहां से अपनी जान बचाने के लिए वहां से भाग निकले इसी बीच वहां पर सिर्फ दो लोग जंग की भूमि पर डटे रहे थे जिनका नाम था पैगंबर मोहम्मद और हजरत अली।

उसके बाद हजरत अली जी ने मोर्चा संभाला और उनके सेनापति मरहब को मार गिराया और जो किले का दरवाजा था जिसको 25 लोग एक साथ खोलते थे उन्होंने वह दरवाजा उखाड़ कर अपना रक्षा कवच बनाया और फिर दुश्मनों पर टूट पड़े।

हजरत अली जी की शायरी 

(Hazrat Ali quotes, shayari)

  • हर व्यक्ति के तीन ही दुश्मन और दोस्त होते हैं तुम्हारा दोस्त दोस्त का दोस्त और उसका दोस्त दुश्मन भी इसी कर्म में बने होते होते हैं|

  • विनम्रता सबसे बड़ी मौन प्राथना हैं|

  • अगुली करना वो लोग अपनाते हैं जो स्वय को अच्छा और बेहतर बनाने में नाकाफी होते हैं|


  • अपने खुदा पर यकीन रखो डरो और बचो केवल बुरे कर्मो से|

  • हर व्यक्ति के तीन ही दुश्मन और दोस्त होते हैं तुम्हारा दोस्त दोस्त का दोस्त और उसका दोस्त दुश्मन भी इसी कर्म में बने होते होते हैं|


  • भरोसा और सब्र रखने भर से फतह हासिल हो सकती हैं|

  • जब दुनिया आपकों हराकर गिरा दे तो वह प्रेयर की सबसे अच्छी स्थति हैं|


  • हर व्यक्ति को सच्चाई अच्छे की तरफ ले जाति हैं और जन्नत का दरवाजा खोलती हैं|

  • भीख मागने से बदतर कोई कर्म इस दुनिया में नही हैं|


  • स्पष्ट मना कर देना हजारो झूट बोलने और प्रोमिश करने से हजार गुना अच्छा हैं|

निष्कर्ष।

उम्मीद करता हूं (hazrat Ali Biography) हजरत अली का जीवन परिचय के बारे में जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो कमेंट करके जरूर बताएं हम आपका आभार व्यक्त करेंगे। और इस जानकारी को आप अपने फ्रेंड्स के पास जरूर शेयर करे। 

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