राकेश झुनझुनवाला का जीवन परिचय, निधन, कमाई | Rakesh Jhunjhunwala Biography in Hindi

Rakesh Jhunjhunwala biography in hindi -

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Rakesh Jhunjhunwala  एक भारतीय investor एवं share व्यापारी हैं । जिनका जन्म 5 जुलाई 1960 को हुआ था और उनकी मृत्यु 14 अगस्त 2022 को हुई।

निवेशक Rakesh Jhunjhunwala का 62 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 14 अगस्त को Rakesh Jhunjhunwala को सुबह 6:45 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी hospital में भर्ती karaya गया था. वह लंबे समय से किसी bimari से पीड़ित थे।

निवेशक उनकी Company का नाम ‘रारे इंटरप्राइजेज’ है, jiska पोर्टफोलियो प्रबन्धन राकेश स्वयं करते हैं ।  पेशे से CA हैं. अपने शुरुआती जीवन के दौरान, rakesh बॉम्बे में एक अग्रवाल परिवार में पले-बढ़े , जहां unke पिता, आयकर आयुक्त, बॉम्बे के roop में काम करते थे। उनका परिवार झुंझुनू का rehne वाला है

Rakesh Jhunjhunwala biography in hindi

पूरा नाम (Real Name) राकेश झुनझुनवाला
उप नाम (Nickname) बिग बुल ,भारत का वारेन वफ़ेट
जन्म तारीख (Date of Birth) 5 जुलाई 1960
जन्म स्थान (Birth place) हैदराबाद, तेलंगाना, भारत
उम्र (Age ) 60 वर्ष
निधन की तारीख (Date of Death ) 04 अगस्त 2022
निधन का स्थान (Place of Death ) कैंडी अस्पताल ,मुंबई
कॉलेज(College ) सिडेनहैम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स, मुंबई
विश्वविद्यालय(University ) इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया
शिक्षा (Education ) बी कॉम और चार्टर्ड एकाउंटेंट
व्यवसाय  (Profession) निवेशक, व्यापारी, व्यवसायी, चार्टर्ड एकाउंटेंट
राष्ट्रीयता (Nationality ) भारतीय
कुल संपत्ति (Net Worth) $4.3 बिलियन

कौन है राकेश झुनझुनवाला (Who is Rakesh Jhunjhunwala)?

Rakesh Jhunjhunwala biography in hindi – भारत के “Big Bull” और “Warren Buffet” कहलाये जाने वाले Rakesh Jhunjhunwala एक स्टॉक market इन्वेस्टर है, बचपन से ही इनकी रुचि niveshak एवं शेयर बाजार में थी, jisko वजह से अपने शुरूआती दौर में इन्होंने business में 5000 रुपया लगाकर उसको 18, 000 करोड़ तक pahucha दिया और भारत के 48वें नंबर के sabse अमीर ब्यक्ति बन गए।।Rakesh Jhunjhunwala ‘Rare Enterprises’ के नाम से Stock Trading Firm चलाते है। Jahan पे वो अपना खुद का Portfolio संभालते है।

राकेश झुनझुनवाला की शिक्षा (Rakesh Jhunjhunwala Education)

Rakesh Jhunjhunwala biography in hindi – Rakesh Jhunjhunwala ने अपनी शुरूआती पढ़ाई एक bahut ही सामान्य स्कूल से की। उसके बाद उन्होंने mumbai में अपनी वाणिज्य शिक्षा के लिए सिडेनहैम college ऑफ कॉमर्स एंड economics में दाखिला लिया । वहां अपनी वाणिज्य education पूरी करने के बाद, उन्होंने chartered accountant (सीए) बनने का ख्याल आया ।

इसलिए, unhone सीए की पढ़ाई पूरी करने के लिए द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ india में प्रवेश लिया।

Rakesh Jhunjhunwala ने कॉलेज में पढ़ाई करते समय ही share बाजार के बारे में सीखना शुरू कर दिया था। अपनी college की पढ़ाई पूरी करने बाद वे एक simple निवेशक के रूप में स्टॉक market में आए थे लेकिन भारत के सबसे बड़े investors में से एक हैं।

 राकेश झुनझुनवाला का परिवार (Rakesh Jhunjhunwala Family)

पिता का नाम (Father’s Name) राधेश्यामजी झुनझुनवाला
माता का नाम (Mother’s Name) उर्मिला झुनझुनवाला
पत्नी (Wife’s Name  ) रेखा झुनझुनवाला
बेटे का नाम (Son’s Name) आर्यमन झुनझुनवाला और आर्यवीर झुनझुनवाला
बेटी का नाम (Daughter’s Name) निष्ठा झुनझुनवाला

राकेश झुनझुनवाला की कहानी (Rakesh Jhunjhunwala story)

Rakesh Jhunjhunwala biography in hindi – 5 जुलाई 1960 को जन्मे Rakesh Jhunjhunwala जब school में थे तब वह अपने पिता को अपने dosto के साथ शेयर बाजार पर बाते karte हुए सुनते थे।

Din bhar घर के अंदर हो रही शेयर बाजार की चर्चाओं चलते इसकी jigyasa शेयर बाजार के बारे में badh गई और ऐसे ही इनके मन में ख्याल आया की kyu न अपने पिता से शेयर बाजार के bare में कुछ jankari ली जाये।

एक दिन unhone अपने पिता से पूछा कि शेयर की kimat रोज ऊपर नीचे क्यों जाती है? तब उनके पिता ने उन्हें samjhaya की अगर उन्हें शेयर bazar के बारे में समझना है तो उन्हें प्रतिदिन akhbar पढ़ने होंगे और वहाँ से उन्हें यह samajhna होगा की कौन कौन से कारण है जिसकी वजह से share बाजार में उतार chadhav होता है.

जब Rakesh Jhunjhunwala अपने कॉलेज की padhai पूरी कर रहे थे तो उनका रुझान शेयर तरफ badhne से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद शेयर bazar में अपना करियर बनाने की सोची। Halaki, उनके पिता ने उन्हें sujhav दिया की वो pehle किसी कॉलेज से ग्रेजुएशन की degree प्राप्त कर ले ।

Rakesh Jhunjhunwala को अपने पिता द्वारा दिए गए sujhav के मुताबित राकेश झुनझुनवाला ने 1985 में सिडेनहम कॉलेज से Chartered Accountant के रूप में graduation किया।

जब इन्होने अपने college की डिग्री प्राप्त कर ली तो उन्होंने अपने pita से कहा की आपके मन मुताबित मैंने अपने college की degree हासिल कर ली है क्या अब में अपना career share बाजार में एक investors के रूप में बना सकता हूँ।

Rakesh Jhunjhunwala को उनके पिता द्वारा उनको share bazar में अपना करियर बनाने की anumanit सिर्फ एक शर्त पर पिता बाजार में investment करने 1 रुपया भी नहीं देंगे और उन्होंने rakesh को यह कह कर भी चेताया की वो अपने kisi दोस्त या रिश्तेदार से पैसे उधर लेकर share बाजार में निवेश नहीं करेंगे

अपने pita की यह बात सुनकर Rakesh Jhunjhunwala टूट गए लेकिन अपने पिता का पूरी तरह samarthan ना मिलने के बाद भी वो रुके नहीं अपने share bazar के प्रति जूनून को उन्होंने अपने pita की सहायता के बिना आगे badhane की ठानी और अपने शेयर शेयर बाजार की yatra शुरू कर दी.

Rakesh Jhunjhunwala की शेयर बाजार यात्रा

Rakesh Jhunjhunwala biography in hindi – Rakesh Jhunjhunwala ने 1985 में अपनी mehnat द्वारा कमाई गयी 5,000 रुपये की जमा पूंजी के साथ share बाजार में कूद गए । और कुछ समय बाद जब उन्हें share bazar में पैसा Kamane का एक अच्छा अवसर दिखाई दिया।

इस opportunity का लाभ उठाने के लिए उन्होंनेअपने भाई के customers में से एक से 1.25 लाख rupye यह कह कर लिए की वो उन्हें कुछ समय बाद fix डिपाजिट की तुलना में 18% तक का एक अच्छा khasa मुनाफा कमा कर देंगे और यह बात sunkar उनके भाई के दोस्तों ने हसते khelte हुए उन्हें बड़े आराम से पैसे दे दिए।

इसी तरह से unhone अपने शेयर बाजार की यात्रा के लिए shuruat में पैसा जोड़ा।उन्होंने TATA Tea के 43 रुपये के भाव में 5,000 शेयर kharide और सिर्फ 3 महीने के भीतर ही TATA Tea share 43 रुपये के भाव से बढ़कर 143 रुपये पर pahuch गया । Rakesh Jhunjhunwala ने TATA Tea के शेयरों को bech दिया और उससे उन्होंने 3 गुना से ज्यादा का benefits कमाया।

Rakesh Jhunjhunwala को अभी शेयर बाजार में आये हुए ज्यादा time नहीं हुआ था lekin फिर भी 1986 में राकेश झुनझुनवाला का pehla बड़ा लाभ 5 लाख रुपये था जो उस समय इतने कम time में एक बड़ा मुनाफा था

आगे आने वाले कुछ salo में Rakesh Jhunjhunwala ने कई shares से अच्छा खाशा profit कमाए। 1986-89 के दौरान अपने experience के साथ उन्होंने 20 लाख रुपये से ज्यादा का profit कमाया ।

Rakesh Jhunjhunwala ने कुछ समय बाद Sesa Goa में बड़े profit का अवसर भांप कर उसमे एक बड़ा investment कर दिया जिस समय unhone अपने जीवन का सबसे बड़ा निवेश Sesa Goa के shares को kharidkar किया था उस समय Sesa Goa का शेयर मात्र 28 रुपये के bhav पर चल रहा था और जैसा unhone अनुमान लगाया था यह शेयर 35 रुपये तक badh गया और बहुत ही काम time में शेयर रु 65 तक पहुंच गया। इसी तरह के बहुत सारे shares में उन्होंने बड़ा profit कमाया ।

साल 1989 में जब log बजट के आने बाद शेयर bazar की नीचे जाने को लेकर डरे हुए थे उस वक्त तब Rakesh Jhunjhunwala का इतने सालो का experience काम आया और उन्होंने शेयर bazar के ऊपर जाने की आशा के साथ बहुत बड़ी matra में शेयर बाजार में निवेश किया और जैसा उन्होंने anuman लगाया था ठीक bilkul वैसा ही हुआ बजट के बाद मार्केट ने तेजी pakdi और ऐसी तेजी के साथ Rakesh Jhunjhunwala की कुल सम्पति 2 करोड़ से सीधे 40 -50 karod तक पहुंच गयी ।

Rakesh Jhunjhunwala का पोर्टफोलियो (Rakesh Jhunjhunwala Current Portfolio)

Rakesh Jhunjhunwala biography in hindi – एक indian investor और व्यापारी हैं और संपत्ति फर्म रेयर एंटरप्राइजेज का parbandh करते हैं। एक kabil चार्टर्ड एकाउंटेंट, वह अपने नाम और अपनी patni रेखा झुनझुनवाला दोनों में investment करता है ।

ये Rakesh Jhunjhunwala के share हैं, जो एक्सचेंजों में Dakhil किए गए शेयरहोल्डिंग डेटा के according हैं।

Rakesh Jhunjhunwala के द्वारा ख़रीदे एवं बेचे गए स्टॉक 2021

Rakesh Jhunjhunwala का जीवन परिचय,निधन | Rakesh Jhunjhunwala Biography in Hindi 6

राकेश झुनझुनवाला के स्टॉक्स (stock holding of Rakesh Jhunjhunwala )

SR स्टॉक का नाम शेयर का मूल्य शेयर की मात्रा
1 Lupin Ltd.+ 841.4 Cr 72,45,605
2 Edelweiss Financial Services Ltd.+ 80.3 Cr 1,11,25,000
3 Autoline Industries Ltd.+ 8.0 Cr 17,51,233
4 Fortis Healthcare Ltd.+ 782.2 Cr 3,25,50,000
5 Escorts Ltd.+ 765.0 Cr 64,00,000
6 Jubilant Pharmova Ltd.+ 735.8 Cr 1,00,20,000
7 Titan Company Ltd.+ 7,775.1 Cr 4,49,00,970
8 NCC Ltd.+ 670.5 Cr 7,83,33,266
9 Rallis India Ltd.+ 627.9 Cr 1,93,05,820
10 Anant Raj Ltd.+ 57.7 Cr 1,00,00,000
11 Jubilant Ingrevia Ltd.+ 531.8 Cr 1,00,20,000
12 Nazara Technologies Ltd.+ 507.4 Cr 32,94,310
13 Prakash Pipes Ltd.+ 5.8 Cr 3,12,500
14 The Mandhana Retail Ventures Ltd.+ 5.3 Cr 28,13,274
15 Federal Bank Ltd.+ 408.5 Cr 4,72,21,060
16 Tata Communications Ltd.+ 380.0 Cr 29,50,687
17 Multi Commodity Exchange of India Ltd.+ 377.0 Cr 25,00,000
18 TARC Ltd.+ 36.3 Cr 1,00,00,000
19 Delta Corp Ltd.+ 357.3 Cr 2,00,00,000
20 Indian Hotels Company Ltd.+ 356.3 Cr 2,50,10,000
21 Orient Cement Ltd.+ 34 Cr 25,00,000
22 Aptech Ltd.+ 233.8 Cr 96,68,840
23 TV18 Broadcast Ltd.+ 193.4 Cr 4,45,60,000
24 Prakash Industries Ltd.+ 19.0 Cr 25,00,000
25 Agro Tech Foods Ltd.+ 188.7 Cr 20,03,259
26 Karur Vysya Bank Ltd.+ 187.5 Cr 3,59,83,516
27 Va Tech Wabag Ltd.+ 180.6 Cr 50,00,000
28 Man Infraconstruction Ltd.+ 17.3 Cr 30,00,000
29 Geojit Financial Services Ltd.+ 137.6 Cr 1,80,37,500
30 Wockhardt Ltd.+ 132.2 Cr 25,00,005
31 VIP Industries Ltd.+ 126.6 Cr 32,73,400
32 D B Realty Ltd.+ 12.4 Cr 50,00,000
33 Bilcare Ltd.+ 12.1 Cr 19,97,925
34 Dishman Carbogen Amcis Ltd.+ 105.7 Cr 50,00,000
35 Prozone Intu Properties Ltd.+ 10.2 Cr 31,50,000
36 Tata Motors Ltd.+ 1,460.1 Cr 4,27,50,000
37 Crisil Ltd.+ 1,022.3 Cr 39,75,000
38 Dewan Housing Finance Corporation Ltd.+ 1% से नीचे
39 Firstsource Solutions Ltd.+ 1% से नीचे
40 GMR Infrastructure Ltd.+ 1% से नीचे
41 Indiabulls Real Estate Ltd.+ 1% से नीचे
42 Ion Exchange (India) Ltd.+
43 Spicejet Ltd.+

राकेश झुनझुनवाला की निवेश की रणनीति (Investment Strategy)

Rakesh Jhunjhunwala biography in hindi – Rakesh Jhunjhunwala अपनी गलतियों से सीखने में visvas रखते हैं। उनके मुताबित आज वे जो कुछ है uske पीछे का सबसे बड़ा कारण यह की उन्होंने hamesha अपनी गलतियों से बहुत कुछ sikha है जिसकी बदौलत आज वे एक बेहतर investor बन पाए है ।

उनके mutabik जब वे किसी गलत कंपनी का शेयर kharid लेते है और उससे उन्हें कभी nukshan हो जाता है तो अपनी गलती का दोष वे companies के Promoters पर नहीं थोपते है ।

उनके mutabik वो अपनी गलतियों सिर्फ खुद को देते है क्योकि unhone कंपनी और कंपनी के Promoter पहचाने में galti कर दी और इसके साथ वह मानते है की share बाजार में invest करने से पहले अच्छी तरह जाँच पड़ताल करनी bahut जरुरी है ।

यह वो stretegy हे जो आपको शेयर बाजार में ऊपर लेके जाएगी। ”Rakesh Jhunjhunwala कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में उतार chadav से जो कुछ सीखा है, उन अनुभवों से वे try करते है वे ट्रेडिंग में पैसा कमाते है और इसे shares में निवेश करते है।

राकेश झुनझुनवाला की नेट वर्थ (Rakesh Jhunjhunwala net worth)

कुल संपत्ति (Net Worth 2021) $4.2 बिलियन
कुल संपत्ति रुपयों में (Net Worth In Indian Rupees) 31320 करोड़ रुपये
महीने की आय (Monthly Income And Salary) 100 करोड़ +
वार्षिक आमदनी(Annual  Income) 1120 करोड़ +

राकेश झुनझुनवाला का निधन (Rakesh Jhunjhunwala Death)

Rakesh Jhunjhunwala biography in hindi – मशहूर investor राकेश झुनझुनवाला का 62 वर्ष की आयु में निधन हो गया, रविवार (14 अगस्त) को  Rakesh Jhunjhunwala को सुबह 6:45 बजे mumbai के ब्रीच कैंडी hospital में admit कराया गया था. वह लंबे समय से किसी bimari से पीड़ित थे।

बीच कैंडी hospital के डॉक्टरों ने पुष्टि की कि उन्हें hospital में मृत लाया गया था। पीएम नरेंद्र मोदी ने Rakesh Jhunjhunwala के आकस्मिक निधन पर शोक vyakt करने के लिए Twitter का सहारा लिया।

उन्होंने लिखा, “Rakesh Jhunjhunwala अदम्य थे। Jivan से भरपूर, मजाकिया और अंतर्दृष्टिपूर्ण, वह वित्तीय duniya में एक अमिट yogdan छोड़ गए। वह भारत की प्रगति के बारे में भी बहुत bhavuk थे। उनका निधन दुखद है। उनके family और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदना ।

अंतिम कुछ शब्द –

दोस्तों मै hope करता हूँ आपको Rakesh Jhunjhunwala का जीवन परिचय | Rakesh Jhunjhunwala Biography in Hindi”वाला Blog पसंद आया होगा agar आपको मेरा ये Blog पसंद आया हो तो अपने dosto और अपने social media अकाउंट पर शेयर करे लोगो को भी इसकी jankari दे

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सिद्धू मूसे वाला का जीवन परिचय,हत्या | Sidhu Moose wala Biography , Death in hindi

सिद्धू मूसे वाला का जीवन परिचय,हत्या | Sidhu Moose wala Biography , Death in hindi

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Sidhu Moose wala शुभदीप सिंह सिद्धू एक पंजाबी गायक, गीतकार, model थे जो ‘सो हाई’ Gana गाकर चर्चा में आए थे ।Sidhu Moose wala की 29 मई 2022 में गोली मारकर हत्या कर दी गयी उनके Gadi पर 10 से फायर किये गए jisme से कम से कम 5 Goliya उनकी chest में जा लगी ।

Sidhu Moose wala Biography ,Death in hindi

उसकी नाम (Real Name) शुभदीप सिंह सिद्धू
निक नेम (Nick Name ) सिद्धू मूसेवाला, मूसेवाला
जन्मदिन (Birthday) 11 जून 1993
जन्म स्थान (Birth Place) गांव मूसा वाला, मनसा, पंजाब, भारत
उम्र (Age ) 29 साल (मृत्यु तक )
मृत्यु की तारीख Date of Death 29 मई 2022
मृत्यु का स्थान (Place of Death) पंजाब
मृत्यु का कारण (Death Cause) उनकी हत्या कर दी गई
शिक्षा (Education ) इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री
कॉलेज (College ) गुरु नानक देव इंजीनियरिंग कॉलेज, लुधियाना, पंजाब
राशि (Zodiac) मिथुन राशि
नागरिकता (Citizenship) भारतीय
गृह नगर (Hometown) गांव मूसा वाला, मनसा, पंजाब, भारत
धर्म (Religion) सिख
जाति (Cast ) जाट
लम्बाई (Height) 6 फीट 1 इंच
वजन (Weight ) 85 किग्रा
आँखों का रंग (Eye Color) काला
बालो का रंग( Hair Color) काला
पेशा (Occupation) गायक, गीतकार, मॉडल, राजनीतिज्ञ
पहली फिल्म (Debut ) गीतकार: लाइसेंस- निंजा द्वारा (2016)
गायन (युगल): गुरलेज़ अख्तर के साथ बिलोंग करदा
वैवाहिक स्थिति Marital Status अवैवाहिक

Sidhu Moose wala का जन्म एवं शुरुआती जीवन (Sidhu Moose wala Birth )

सिद्धू मूसे वाला का जन्म 11 जून 1993 को Gaon मूसा, मानसा, punjab में हुआ था। Sidhu Moose wala एक सिख जाट परिवार से हैं। उनके pita का नाम bhola सिंह सिद्धू है। उनकी मां चरण कौर सिद्धू mansa के मूसा गांव की Sarpanch हैं। उनका एक छोटा bhai गुरप्रीत सिद्धू है।

सिद्धू मूसे वाला की शिक्षा – Sidhu Moose wala Education Qualification

उन्होंने अपनी School शिक्षा मनसा से की और electrical इंजीनियरिंग में स्नातक करने के लिए Ludhiana के गुरु नानक देव engineering कॉलेज गए। स्नातक की padhai पूरी करने के बाद, वह आगे की padhai के लिए कनाडा चले गए। 

सिद्धू का bachpan से ही गायन की ओर झुकाव था। जब वे अपनी 5वीं कक्षा में थे तब वे लोक geet गाते थे और कॉलेज में रहते हुए विभिन्न gayan प्रतियोगिताओं में भी bhag लेते थे, लेकिन kanada जाने के बाद ही उन्होंने gayan में अपना करियर बनाने का decision किया।

सिद्धू मूसे वाला का परिवार (Sidhu Moose wala Family )

पिता का नाम (Father’s Name) भोला सिंह सिद्धू
माता का नाम (Mother’s Name) चरण कौर सिद्धू (ग्राम मूसा की सरपंच)
भाई (Brother ) गुरप्रीत सिद्धू

सिद्धू मूसे वाला का करियर (Sidhu Moose wala Career )

संगीत – 

Sidhu Moose wala ने 2016 में geetkar के रूप में अपना करियर licence ’ गाने के बोल likh kar शुरू किया, जिसे पंजाबी gayan निंजा ने गाया था। गाना turant हिट हो गया। 

इसके बाद उन्होंने गायकों deep jhandu, एली मंगत और करण औजला के साथ kaam किया। 2017 में, सिद्धू ने punjabi songs “जी वैगन” के साथ गायन में अपनी शुरुआत की। 

उसी वर्ष, उन्होंने “सो हाई” song को अपनी voice दी। दोनों गाने superhit थे और उन्हें vyapak लोकप्रियता मिली। इसके बाद, उन्होंने “रेंज रोवर,” “duniya,” “डार्क लव,” “टोचन,” और “इट्स ऑल अबाउट यू” जैसे कई interesting panjabi songs जारी किए।

राजनीति

3 दिसंबर 2021 को, Sidhu Moose wala मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और PPCC प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू की upastithi में bhartiye राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में शामिल हो गए ।

सिद्धू मूसे वाला के विवाद (Sidhu Moose wala Controvercy )

Sidhu Moose wala करण औजला के अच्छे dost थे, लेकिन दोनों के बीच jhagda हो गया और करण ने कथित tor पर रिलीज से पहले Sidhu Moose wala के विभिन्न गाने leaked कर दिए। 2018 में, औजला ने सनम भुल्लर के साथ Deep जंदू और लफाफे के साथ ‘up and down’ गाने जारी किए जिसमें unhone सिद्धू को Badnam किया। यह अभिनय गायक के साथ अच्छा नहीं रहा और उसने बदले में karan औजला को nisana बनाते हुए एक गाना ‘वार्निंग शॉट्स’ भी जारी किया। Eske बाद दोनों के बीच ठंड शुरू हो गई।

Professor धनेवर द्वारा अपनी मां के खिलाफ gramin विकास एवं panchayat विभाग, एसएएस नगर, moholi के निदेशक को complaint दर्ज कराई गई थी जिसमें प्रोफेसर ने सिद्धू मूसेवाला द्वारा गाए गए bhadkau और अवैध गीतों का उल्लेख किया था। बाद में, charan kore ने पंडित राव धनेवर को एक माफी पत्र लिखा jisme कहा गया था कि भविष्य में उनका बेटा भड़काऊ song वाले गाने नहीं गाएगा।

Sidhu Moose wala के बारे में रोचक तथ्य –

उनका नाम, Sidhu Moose wala, उनके गाँव के नाम “musa” से प्रेरित है जो punjab के मनसा में स्थित है।

2015 में, जब Sidhu Moose wala ने एक गाने के लिए punjabi उद्योग के एक Famous singer से संपर्क किया, तो singer चीजों को टालते रहे और बाद में उन्हें एक song देने से इनकार कर दिया। इस ghatna ने उन्हें इस हद तक आहत किया कि उन्होंने अपने गीत खुद लिखने का decision किया। शुरू में वे लिखने में weak थे लेकिन धीरे-धीरे वे इसमें अच्छे हो गए।

वह ‘चन्नी बांका’ को अपना Godfather मानते हैं। यह बांका ही थे जिन्होंने सिद्धू को punjabi songs उद्योग से परिचित कराया और उन्हें kanada में नाम कमाने में भी मदद की।

रिलीज़ के लिए official तौर पर record किए जाने से पहले उनके approx 8 गाने लीक हो गए थे।

2018 में, sidhu ने अपने नफरत करने वालों को nisana बनाते हुए एक song ‘जस्ट लिसन’ लॉन्च किया।

सिद्धू मूसे वाला की हत्या (Sidhu Moose wala Death )

Punjabi singer और congress नेता सिद्धू मूसे वाला, जिनकी मानसा जिले में 29 मई 2022 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, का Protection कवच कल कम कर दिया गया था।

Rajye के ग्रामीण इलाकों में लोकप्रिय 28 वर्षीय गायिका उन 424 वीआईपी में शामिल हैं, जिनकी suraksha कल भगवंत मान सरकार द्वारा vip संस्कृति पर नकेल कसने की kavayad के तहत कम कर दी गई थी।

इससे पहले चार सशस्त्र karmiyo द्वारा संरक्षित, गायक को दो द्वारा pehra दिया गया था, जब उसे आज शाम अपने gaon में अपने dost से मिलने के लिए गोलियों से उड़ा दिया गया था।

नवीनतम दौर में जिन vip की protection कम की गई थी, उनमें सेवानिवृत्त police अधिकारी और धार्मिक और Rajnitik नेता शामिल थे। इससे पहले, rajye sarkar ने 184 पूर्व मंत्रियों, विधायकों और निजी suraksha प्राप्त लोगों की सुरक्षा वापस ले ली थी। एक mahine पहले 122 पूर्व मंत्रियों और विधायकों की suraksha वापस ले ली गई थी।

पूर्व मंत्री मनप्रीत सिंह badal, राज कुमार वेरका, भारत भूषण आशु और पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का family उन लोगों में शामिल थे, jinhone अपनी सुरक्षा खो दी।

FAQ – Sidhu Moose wala

Q. Sidhu Moose wala का पूरा नाम क्या है?

शुभदीप सिंह सिद्धू

Q. Sidhu Moose wala की जाति क्या है?

जाट (Jaat)

Q. Sidhu Moose wala का जन्मदिन कब है?

11 जून 1993

Q. Sidhu Moose wala की हत्या कब हुई?

29 मई 2022

Q. Sidhu Moose wala की हत्या किसने की?

कुछ अनजान लोगो ने उनकी Goli मारकर हत्या कर दी।

Q. क्या Sidhu Moose wala जिन्दा है?

नहीं Sidhu Moose wala अब इस दुनिया में नहीं रहे 29 मई 2022 को उनकी हत्या कर दी गई।

Q. क्या सिद्धू मूसे वाला की हत्या हो गई है?

उनकी Chest में 5 गोलियाँ मारकर उनकी हत्या कर दी गई।

निष्कर्ष।

उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी सिद्धू मूसे वाला का जीवन परिचय,हत्या | Sidhu Moose wala Biography , Death in hindi परिचय आपको पसंद आई होगी। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसको ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं आपको यह जानकारी कैसी लगी।

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14 मार्च, 1879 को जर्मनी के उल्म में एक यहूदी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के बेटे अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म हुआ।  आइंस्टीन के विशेष और सामान्य सापेक्षता के सिद्धांतों ने ब्रह्मांड की मानवीय समझ को काफी बदल दिया, और कण और ऊर्जा सिद्धांत में उनके काम ने क्वांटम यांत्रिकी और अंततः, परमाणु बम को संभव बनाने में मदद की।

जर्मनी और इटली में बचपन के बाद, आइंस्टीन ने स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में फेडरल पॉलिटेक्निक अकादमी में भौतिकी और गणित का अध्ययन किया।  वे स्विस नागरिक बन गए और 1905 में उन्हें पीएच.डी.  बर्न में स्विस पेटेंट कार्यालय में काम करते हुए ज्यूरिख विश्वविद्यालय से।  उस वर्ष, जिसे आइंस्टीन के करियर के इतिहासकार एनस मिराबिलिस कहते हैं – “चमत्कार वर्ष” – उन्होंने पांच सैद्धांतिक पत्र प्रकाशित किए जिनका आधुनिक भौतिकी के विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा।

इनमें से पहले में, “प्रकाश के उत्पादन और परिवर्तन के संबंध में एक अनुमानी दृष्टिकोण पर” शीर्षक से, आइंस्टीन ने सिद्धांत दिया कि प्रकाश व्यक्तिगत क्वांटा (फोटॉन) से बना है जो सामूहिक रूप से एक लहर की तरह व्यवहार करते हुए कण जैसी गुणों को प्रदर्शित करता है।  क्वांटम सिद्धांत के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम, परिकल्पना, फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव की आइंस्टीन की परीक्षा के माध्यम से पहुंची थी, एक ऐसी घटना जिसमें कुछ ठोस प्रकाश से टकराने पर विद्युत आवेशित कणों का उत्सर्जन करते हैं।  यह काम बाद में उन्हें भौतिकी में 1921 का नोबेल पुरस्कार दिलाएगा।

दूसरे पेपर में, उन्होंने एक निश्चित स्थान में परमाणुओं और अणुओं के आकार को गिनने और निर्धारित करने की एक नई विधि तैयार की, और तीसरे में उन्होंने एक तरल पदार्थ में निलंबित कणों के निरंतर अनिश्चित आंदोलन के लिए गणितीय स्पष्टीकरण की पेशकश की, जिसे ब्राउनियन के रूप में जाना जाता है।  गति।  इन दो पत्रों ने परमाणुओं के अस्तित्व के निर्विवाद प्रमाण प्रदान किए, जो उस समय भी कुछ वैज्ञानिकों द्वारा विवादित थे।

अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय

1905 के आइंस्टीन के चौथे अभूतपूर्व वैज्ञानिक कार्य ने उन्हें अपने सापेक्षता के विशेष सिद्धांत को संबोधित किया।  विशेष सापेक्षता में, समय और स्थान निरपेक्ष नहीं होते, बल्कि प्रेक्षक की गति के सापेक्ष होते हैं।  इस प्रकार, एक दूसरे के संबंध में महान गति से यात्रा करने वाले दो पर्यवेक्षक आवश्यक रूप से एक ही समय में एक साथ घटनाओं का निरीक्षण नहीं करेंगे, और न ही अंतरिक्ष के अपने माप में आवश्यक रूप से सहमत होंगे।  

आइंस्टीन के सिद्धांत में, प्रकाश की गति, जो कि द्रव्यमान वाले किसी भी पिंड की सीमित गति है, संदर्भ के सभी फ्रेमों में स्थिर है।  उस वर्ष के पांचवें पेपर में, विशेष सापेक्षता के गणित की खोज में, आइंस्टीन ने घोषणा की कि द्रव्यमान और ऊर्जा बराबर हैं और एक समीकरण, ई = एमसी 2 के साथ गणना की जा सकती है।

हालांकि जनता को उनके क्रांतिकारी विज्ञान को अपनाने की जल्दी नहीं थी, आइंस्टीन का यूरोप के सबसे प्रतिष्ठित भौतिकविदों के सर्कल में स्वागत किया गया और ज्यूरिख, प्राग और बर्लिन में प्रोफेसरशिप दी गई।  1916 में, उन्होंने “द फाउंडेशन ऑफ़ द जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी” प्रकाशित किया, जिसने प्रस्तावित किया कि गुरुत्वाकर्षण, साथ ही गति, समय और स्थान के अंतराल को प्रभावित कर सकती है।  

आइंस्टीन के अनुसार, गुरुत्वाकर्षण एक बल नहीं है, जैसा कि आइजैक न्यूटन ने तर्क दिया था, बल्कि अंतरिक्ष-समय सातत्य में एक घुमावदार क्षेत्र है, जो द्रव्यमान की उपस्थिति द्वारा बनाया गया है।  बहुत बड़े गुरुत्वाकर्षण द्रव्यमान की वस्तु, जैसे कि सूर्य, इसलिए अपने चारों ओर अंतरिक्ष और समय को ताना-बाना प्रतीत होता है, जिसे तारों के प्रकाश को देखकर प्रदर्शित किया जा सकता है 

क्योंकि यह पृथ्वी के रास्ते में सूर्य को तिरछा करता है।  1919 में, सूर्य ग्रहण का अध्ययन करने वाले खगोलविदों ने आइंस्टीन द्वारा सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत में की गई भविष्यवाणियों की पुष्टि की, और वह रातोंरात सेलिब्रिटी बन गए।  बाद में, सामान्य सापेक्षता की अन्य भविष्यवाणियों, जैसे कि बुध ग्रह की कक्षा में बदलाव और ब्लैक होल के संभावित अस्तित्व की वैज्ञानिकों द्वारा पुष्टि की गई।

अगले दशक के दौरान, आइंस्टीन ने क्वांटम सिद्धांत में निरंतर योगदान दिया और एक एकीकृत क्षेत्र सिद्धांत पर काम करना शुरू किया, जिसकी उन्हें उम्मीद थी कि क्वांटम यांत्रिकी और उनके स्वयं के सापेक्षता सिद्धांत को ब्रह्मांड के कामकाज की एक भव्य व्याख्या के रूप में शामिल किया जाएगा।  

एक विश्व-प्रसिद्ध सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में, वह तेजी से राजनीतिक हो गया, ज़ायोनीवाद का कारण बन गया और सैन्यवाद और पुनर्मूल्यांकन के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया।  अपने मूल जर्मनी में, इसने उन्हें एक अलोकप्रिय व्यक्ति बना दिया, और 1933 में नाजी नेता एडोल्फ हिटलर के जर्मनी के चांसलर बनने के बाद आइंस्टीन ने अपनी जर्मन नागरिकता त्याग दी और देश छोड़ दिया।

Albert Einstein history in Hindi

बाद में वे संयुक्त राज्य अमेरिका में बस गए, जहां उन्होंने प्रिंसटन, न्यू जर्सी में उन्नत अध्ययन संस्थान में एक पद स्वीकार किया।  वह अपने पूरे जीवन के लिए वहीं रहेगा, अपने एकीकृत क्षेत्र सिद्धांत पर काम करेगा और एक स्थानीय झील पर नौकायन करके या अपना वायलिन बजाकर आराम करेगा।  वह 1940 में एक अमेरिकी नागरिक बन गए।

1939 में, अपने आजीवन शांतिवादी विश्वासों के बावजूद, वे वैज्ञानिकों के एक समूह की ओर से राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट को लिखने के लिए सहमत हुए, जो परमाणु-हथियार अनुसंधान के क्षेत्र में अमेरिकी निष्क्रियता से चिंतित थे।  अन्य वैज्ञानिकों की तरह, उन्हें इस तरह के हथियार के एकमात्र जर्मन कब्जे का डर था।  हालांकि, बाद के मैनहट्टन प्रोजेक्ट में उन्होंने कोई भूमिका नहीं निभाई और बाद में जापान के खिलाफ परमाणु बमों के इस्तेमाल की निंदा की।  युद्ध के बाद, उन्होंने एक विश्व सरकार की स्थापना का आह्वान किया जो परमाणु प्रौद्योगिकी को नियंत्रित करेगी और भविष्य के सशस्त्र संघर्ष को रोकेगी।

1950 में, उन्होंने अपना एकीकृत क्षेत्र सिद्धांत प्रकाशित किया, जिसकी चुपचाप विफलता के रूप में आलोचना की गई।  गुरुत्वाकर्षण, उप-परमाणु घटना और विद्युत चुंबकत्व की एक एकीकृत व्याख्या आज भी मायावी बनी हुई है।  मानव इतिहास के सबसे रचनात्मक दिमागों में से एक अल्बर्ट आइंस्टीन का 1955 में प्रिंसटन में निधन हो गया 

निष्कर्ष।

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गुरु रविदास जी का जीवन परिचय, रविदास जयंती 2022 || Guru Ravidas Biography, Guru Ravidas jayanti in 2022

संत रविदास जी की जीवनी, संत रविदास जी की जयंती कब है, 

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गुरु रविदास जी 15 वी 16 वी शताब्दी में एक दार्शनिक महान संत और समाज सुधारक हुआ करते थे इनको भारत में भगवान के अनुयाई भी कहा जाता था 

जिन्होंने भारत के उत्तरी क्षेत्र में भक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा अपने ज्ञान के द्वारा समाज एवं देश के लोगों को धार्मिक अथवा धर्म के प्रति जागरुक किया 

इस लेख के अंदर हम “गुरु रविदास जी का जीवन परिचय” बताएंगे गुरु रविदास जी ऐसे संत थे उनके अंदर प्रेम की भावना साफ दिखाई देती थी और भगवान के प्रति भी उनका प्रेम एकदम सच्चा था मैं दूसरे लोगों को भी परमेश्वर से प्रेम करने के लिए जागरूक किया करते थे और जो आप लोग थे 

वो उन्हें अपना मसीहा मानते थे क्योंकि वह एक ऐसे संत थे जिन्होंने आध्यात्मिक और सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बहुत बड़े-बड़े काम किए थे और बहुत से लोग ऐसे थे जो इनको भगवान का दर्जा देते थे इनको भगवान की तरह पूजते थे

आज भी लोग गुरु रविदास जी के वचनों को और गानों को उनके जन्मदिवस पर सुनते हैं गुरु रविदास जी महाराष्ट्र, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और पूजनीय थे और हैं।

गुरु रविदास जी का जीवन परिचय।

(Guru Ravidas biography)

क्रमांक जीवन परिचय बिंदु रविदास जी जीवन परिचय
1. पूरा नाम गुरु रविदास जी
2. अन्य नाम रैदास, रोहिदास, रूहिदास
3. जन्म 1377 AD
4. जन्म स्थान वाराणसी, उत्तरप्रदेश
5. पिता का नाम श्री संतोख दास जी
6. माता का नाम श्रीमती कलसा देवी की
7. दादा का नाम श्री कालू राम जी
8. दादी का नाम श्रीमती लखपति जी
9. पत्नी श्रीमती लोना जी
10. बेटा विजय दास जी
11. मृत्यु 1540 AD (वाराणसी)

गुरु रविदास जी का जन्म गोवर्धन गांव में हुआ था जो कि वाराणसी के पास है इनके पिता का नाम संतोष दास जी था और इनकी माता का नाम कलसा देवी था रविदास जी के जन्म को लेकर सब लोग अपने अलग-अलग राय देते हैं जो कुछ विद्वान हैं उन्होंने रविदास जी का जन्म 1376-77 मैं बताया है 

और कुछ विद्वानों का कहना है कि गुरु रविदास जी का जन्म 1399 CE मैं हुआ था और दस्तावेज यह बताते हैं कि गुरु रविदास जी का जन्म 1450 से लेकर 1520 के बीच हुआ था रविदास जी के जन्म स्थान को “श्री गुरु रविदास जन्म स्थान” कहा जाता है

जो गुरु रविदास जी के पिता थे वह राजा के नगर के सरपंच हुआ करते थे और उनका जूतों को सुधारने और बनाने का काम था जो रविदास जी के पिता थे वह मरे हुए जानवरों की खाल निकाल कर उनसे चमड़ा बनाते थे और फिर उनसे चप्पल जूते बनाते थे।

संत रविदास जी बचपन में बहुत बहादुर हुआ करते थे और मैं भगवान जी को भी बहुत मानते थे जो संत रविदास जी थे उनको बचपन से ही जो उच्च जाति के लोग थे उनसे हीन भावना का शिकार होना पड़ता था मैं लोग हमेशा रविदास जी के मन में इनके उच्च कुल मैं ना होने के बात डाला करते थे 

फिर रविदास जी ने समाज के तौर-तरीके बदलने के लिए कलम का सहारा लिया मैं अपनी कलाओं के द्वारा अपनी रचनाओं के द्वारा लोगों को जीवन के तौर तरीके समझाए करते थे और मैं सबको शिक्षा दिया करते थे कि सब को एक दूसरे के साथ प्रेम से रहना चाहिए मिल जुल कर रहना चाहिए किसी से हीन भावना नहीं रखनी चाहिए।

रविदास जी की शिक्षा।

(Guru Ravidas education)

संत रविदास जी बचपन में शारदानंद जी की पाठशाला में जाया करते थे जो कि एक ग्रुप पंडित थे मैं उनसे पाठशाला में शिक्षा लेने जाया करते थे और फिर कुछ समय के बाद जो ऊंची जाति के लोग थे उन्होंने उनका पाठशाला में भी आना बंद करवा दिया था 

जो पंडित शारदानंद थे उन्होंने संत रविदास जी की प्रतिभा को भलीभांति जान लिया था मैं समाज के ऊंचे नीचे जात पात को नहीं मानते थे वे मानते थे कि रविदास जी भगवान का स्वरूप है यह भगवान का भेजा हुआ बालक है 

जिसके बाद फिर से शारदा नंद जी ने रविदास जी को अपनी पाठशाला में शिक्षा देना प्रारंभ कर दिया संत रविदास जी एक बहुत ही होशियार प्रतिभाशाली होनहार बालक थे जितना गुरुजी रविदास जी को पढ़ाया करते थे वे उनसे ज्यादा समझ लिया करते थे 

और ज्यादा से ज्यादा शिक्षा ग्रहण करते थे और जब पंडित शारदानंद जी से वह संत रविदास जी से बहुत प्रभावित रहा करते थे मैं सोचते थे कि रविदास जी 1 दिन समाज सुधारक और आध्यात्मिक गुरु बनेंगे।

और संत रविदास जी के साथ पाठशाला के अंदर पंडित सदानंद जी का बेटा भी पढ़ता था और मैं दोनों एक बहुत ही अच्छे मित्र भी थे 1 दिन की बात है मैं एक बार छुपन छुपाई खेल रहे थे फिर खेलते खेलते कुछ समय के बाद रात हो गई फिर उन दोनों ने आपस मे खेलने का एक दूसरे के समक्ष प्रस्ताव रखा। 

सुबह को रविदास जी समय पर खेलने के लिए पहुंच गए लेकिन जो उनका मित्र था वह नहीं आया था इस संत रविदास जी अपने मित्र के घर जाते हैं फिर वहां जाकर मैं बहुत दुखी होते हैं उनको पता चलता है कि उनके मित्र की रात ही मृत्यु हो गई वह इतना देखने के बाद रविदास जी एकदम सुन पड़ गए 

फिर जो उनके गुरु पंडित सदानंद जी थे वे रविदास जी को उनके मित्र मित्र के पास लेकर गए जो रविदास जी थे उनको बचपन में ही अलौकिक शक्तियां मिली हुई थी और फिर चमत्कार हो गया जब संत रविदास जी ने अपने मित्र के पास जाकर कहा कि यह सोने का समय नहीं है चलो मित्र खेलते हैं इतना सुनते ही उनका मित्र खड़ा हो गया यह देखकर वहां पर सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए।

गुरु रविदास जी का आगे का जीवन।

(Guru Ravidas life)

संत रविदास जी जैसे जैसे अपने जीवन काल में आगे बढ़ते चले गए जैसे जैसे मैं बड़े होते गए वैसे ही श्रीराम के प्रति उनकी भक्ति बढ़ती चली गई हमेशा हरि कृष्ण, राजा रामचंद्र, राम, रघुनाथ जैसे शब्द का उपयोग किया करते थे जिनसे उनका धार्मिक होना दिखता था

जो संत रविदास जीत है वह मीराबाई के धार्मिक गुरु भी हुआ करते थे जो मीराबाई थी वह चित्तौड़ की रानी थी और राजस्थान के राजा की पुत्री थी और मैं रविदास जी की शिक्षा से बहुत प्रभावित हुआ करती थी और भी उनकी एक बहुत बड़ी अनुयाई भी बन गई थी 

और मेरा भाई जी ने अपने गुरु के सम्मान में कुछ पंक्तियां भी लिखी थी जैसे कि – “गुरु मिलाया रविदास जी” जब मीरा बाई थी मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी 

इनकी माता का देहांत बचपन में ही हो गया था इसके बाद इनको इनके दादा जी ने संभाला इनके दादा जी का नाम दुदा जी था दुदा संत रविदास जी के बहुत अच्छे अनुयाई थे मीरा बाई हमेशा अपने दादाजी के साथ रविदास जी से मिलती रहती थी 

और फिर मीराबाई की शादी हो गई और शादी के बाद अपने परिवार की रजामंदी से उन्होंने श्री गुरु रविदास जी को अपना ग्रुप बना लिया था।

मीराबाई ने अपनी पंक्तियों में कई बार ऐसे लिखा कि उनको मृत्यु से कई बार गुरु रविदास जी ने बचाया था।

रविदास जी के सामाजिक काम।

(Guru Ravidas society works)

वहां के लोगों का यह मानना था कि भगवान ने धर्म की रक्षा करने के लिए रविदास जी को धरती पर भेजा है क्योंकि जब रविदास जी का जन्म हुआ था उस समय आप बहुत ज्यादा बढ़ चुका था लोग जातिवाद करने लगे थे धर्म के नाम पर उल्टा सीधा बोलने लगे थे भेदभाव करने लगे थे 

इसी चीज को देखते हुए रविदास जी ने लोगों को प्रेम की परिभाषा समझाइए उनको विश्वास दिलाया और उनको जातिवाद से मुक्त कराने की ठान ली मैं लोगों को कुछ इस तरह समझाते थे कि इंसान भगवान , धर्म और जाति पर विश्वास के द्वारा नहीं जाना जाता है 

बल्कि वह जाना जाता है तो अपने कर्मों के द्वारा। रविदास जी ने निष्पक्ष होकर समाज में फैले छुआछूत के प्रचलन को खत्म करने के लिए बहुत प्रयास किए थे यह उस समय की बात है जब नीची जाति वालों को बहुत दुत्कारा आ जाता था 

उन लोगों को मंदिर में जाना भी मना था स्कूल में पढ़ना लिखना भी मना था और दिन में घर से बाहर निकलना भी बिल्कुल मना था गांव में रहने के लिए भी कच्चे झोपड़े बनाने पड़ते थे मैं एक मजदूर की बात ही रहा करते थे उनको जो पढ़ो में रहने के लिए मजबूर किया जाता था 

मतलब उनके ऊपर सभी अन्याय होते थे यह दुर्दशा देखकर श्री रविदास जी ने समाज में फैले इस छुआछूत की बीमारी को छुआछूत के भेदभाव को दूर करने की ठान ली थी और फिर लोगों को अच्छी बातें और अच्छे रास्ते पर चलने की सीख देने लगे थे।

रविदास जी लोगों कुछ इस तरह का संदेश दे देते थे की भगवान ने इंसान को बनाया है ना कि इंसान ने भगवान को इसलिए इस धरती पर सभी को सामान हक और सामान सम्मान मिलना चाहिए और सम्मान हर व्यक्ति का अधिकार है और हमेशा भाईचारे से मिलजुल कर एक दूसरे के साथ रहना चाहिए कोई हीन भावना नहीं रखनी चाहिए वह इस तरह की शिक्षा लोगों को दिया करते थे।

जो संत रविदास जी के द्वारा लिखे गए पाद, और धार्मिक गाने एवं उनकी रचनाएं थी उनको सिख शास्त्र “गुरु गोविंद ग्रंथ साहिब” में शामिल भी किया गया है  जो पांचवे सिख गुरु थे जिनका नाम था “अर्जन देव” उन्होंने इसको ग्रंथ में शामिल किया था रविदास जी की शिक्षा के अनुयाई थे उनको रविदास्सिया कहां जाता था और उनके उपदेशों के संग्रह को भी रविदास्सिया पंथ बोला जाता था।

रविदास जी का स्वभाव कैसा था।

(Guru Ravidas behaviour/nature)

श्री संत रविदास जी को उनकी जाति के लोग थे में भी उनको आगे बढ़ने से रोका करते थे जो शुद्र लोग थे वह रविदास जी को ब्राह्मण के जैसे कपड़े योजनाओं पहनने और तिलक लगाने से रोकते थे और जो संत रविदास जी थे वह इन सब बातों का खंडन करते थे 

और भी यह कहा करते थे कि सभी इंसान को इस धरती पर सामान दर्जा मिला है सभी को अपने मनमर्जी के मुताबिक करने का अधिकार है जिसकी जो मर्जी आती है वह कर सकता है फिर जो भी चीज नीची जाति वालों के लिए मना थी 

उन्होंने वह सब करना शुरू कर दिया जैसे की धोती पहनना जनेऊ डालना तिलक लगाना इत्यादि और जो ब्राह्मण लोग थे वह इस सब के बेहद खिलाफ थे और उन लोगों ने जो वहां के राजा हुआ करते थे उनसे संत रविदास जी के इस बर्ताव को लेकर शिकायत कर दी 

संत रविदास जी ने इस सब का ब्राह्मण लोगों को बड़े ही प्यार से जवाब दिया उन्होंने राजा के सामने यह कहा कि शूद्र इंसान के पास भी सभी अधिकार हैं ब्राह्मण का खून भी लाल है और शुद्ध इंसान का खून भी लाल हैं बातों की तरह सुधीर का भी सामान अधिकार है 

फिर रविदास जी ने बड़ी सभा के अंदर अपना सीना चीर दिया और चारों युगों सचिव द्वापर युग त्रेता युग और कलियुग की तरह चारों युगों की तरह तांबा कपास सोना चांदी से जनेऊ बनवा डाला और राजा के साथ-साथ जो लोग वहां पर मौजूद थे 

वह सभी आश्चर्यचकित रह गए उनके पैर छुए और उनको गुरु के सामान दर्जा दिया और राजा को भी अपनी इस बचकानी हरकत पर बहुत शर्मिंदा होना पड़ा फिर उन्होंने गुरु रविदास जी से माफी मांगी फिर गुरु रविदास जी ने उनको बड़ी सहायता से माफ कर दिया और फिर उन्होंने कहा कि यह जनेऊ पहनने से भगवान नहीं मिल सकती 

फिर उन्होंने कहा कि आप सभी लोगों को सच्चाई दिखाने के लिए और वास्तविकता दिखाने के लिए इस गतिविधि में शामिल किया गया है फिर उन्होंने अपना जन्म उतारा और राजा को दे दिया फिर उसके बाद उन्होंने कभी भी ना तिलक लगाया और ना जनेऊ धारण किया।

रविदास जी के पिता की मृत्यु।

(Guru Ravidas father death)

जब गुरु रविदास जी के पिता की मृत्यु हुई तब उन्होंने अपने आस-पड़ोस से मदद मांगी ताकि मैं अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए गंगा तट पर जा सके और जो ब्राह्मण लोग थे वह सब इसके खिलाफ थे क्योंकि वह सब गंगा जी में स्नान किया करते थे

वो सोचते थे कि अगर शुद्र का अंतिम संस्कार वहां हुआ तो गंगा जी अपवित्र हो जाएंगी वह समय ऐसा था उस समय गुरु रविदास जी बहुत ऐसा है और दुख महसूस कर रहे थे। उन्होंने अपना संयम ना तोड़ते हुए भगवान जी से अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए उनसे प्रार्थना करने लगे 

फिर देखते ही देखते वहां पर एक बड़ा सा तूफान आ गया और नदी का जो पानी था वह उल्टी दिशा में बहने लगा और फिर पानी की एक बड़ी सी लहर मृत शव के पास आई और सभी अवशेषों को बहाकर ले गई तभी से गंगा विपरीत दिशा में बहती आ रही है।

रविदास और मुगल शासक बाबर।

(Ravidas and mugal ruler Babar)

जब बाबर था वह मुगल साम्राज्य का पहला शासक था भारत के इतिहास के अनुसार यही बताया गया है जिसने पानीपत की लड़ाई जीतकर अंतर्गत 26 मई दिल्ली पर कब्जा कर लिया था 

और वह गुरु रविदास जी की आध्यात्मिक शक्तियों के बारे में अच्छी तरह से जानता था और वह उनसे मिलना भी चाहता था और फिर हुमायूं के साथ बाबर उनसे मिलने गया 

और फिर उसने गुरु रविदास जी के पैर छुए और उनको सम्मान दिया और फिर गुरु जी ने उनको आशीर्वाद देने की जगह उन को दंडित किया उन्होंने उसको दंडित इसलिए किया 

क्योंकि उसने बहुत सारे लोगों का खून बहा था उसने बहुत सारे लोगों को मारा था फिर गुरुजी ने बाबर को बहुत ही गहराई से शिक्षा दी जिससे बाबर बहुत ज्यादा प्रभावित हुए और में गुरु रविदास जी के अनुयाई बन गए और फिर मैं अच्छे सामाजिक कार्यों में अपना ध्यान लगाने लगे।

रविदास जी की मृत्यु।

(Guru Ravidas death)

संत रविदास जी की मानवता और भगवान के प्रति श्रद्धा और सच्चाई को देखकर दिन प्रतिदिन उनके अनुयाई बढ़ते जा रहे थे और वहीं दूसरी तरफ जो कुछ ब्राह्मण थे वे उन को मारने की साजिश भी कर रहे थे जो गुरु रविदास जी के विरोधक थे 

उन्होंने एक सभा का आयोजन किया और उन्होंने वह सभा गांव से बहुत दूर आयोजित की जिसमें गुरु रविदास जी को भी आमंत्रित किया गया लेकिन गुरु रविदास जी उनकी इस चाल से भलीभांति अवगत थे फिर गुरुजी वहां पहुंचे 

और वहां जाकर उन्होंने सभा का शुभारंभ किया फिर गलती से वहां पर गुरु रविदास जी के जगह उनका साथी बल्ला नाथ वह मारा गया फिर गुरुजी ने थोड़ी देर के बाद अपने कक्ष में जाकर शंख बजाया फिर सब यह देखकर अचंभित हो गए और फिर अपने मित्र को मरे हुए देखकर मैं बहुत दुखी हुए हो और फिर दुखी मन से में गुरुजी के पास गए।

कुछ विद्वानों का मानना है कि गुरु रविदास जी ने अपने शरीर का त्याग 120 या 126 वर्ष किया था कुछ लोगों के अनुसार 1540 AD मैं उन्होंने वाराणसी के अंदर अंतिम सांस ली।

गुरु रविदास जयंती 2022 में कब है

(Guru Ravidas jayanti in 2022)

जो रविदास जयंती है वह माघ महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो रविदास्सिया समुदाय के लोग हैं वह इस दिन को बड़े ही उत्साह से मनाते हैं और वाराणसी के अंदर जो इनका जन्म स्थान है जिसका नाम है “श्री गुरु रविदास जन्म अस्थान” वहां पर एक बहुत ही विशेष कार्यक्रम का आयोजन होता है जहां पर लाखों की संख्या में लोग मौजूद होते हैं जो कि रविदास जी के भक्त होते हैं

इस साल रविदास जयंती 16 फरवरी 2022 को मनाई जाएगी यह उनका 643 व जन्मदिन होगा। 

और जो सिख समुदाय हैं उनके द्वारा नगर के अलग-अलग स्थान पर कीर्तन का आयोजन किया जाता है और साथ ही साथ एक स्पेशल आरती भी की जाती है और मंदिरों के अंदर गुरुद्वारों के अंदर रविदास जी के दोहे और उनके गाने भी बजाए जाते हैं 

और जो उनके अनुयाई हैं वह इस दिन को बहुत पवित्र मानते हैं और पवित्र नदी में स्नान भी करते हैं और फिर मैं रविदास जी की प्रतिमा या उनकी फोटो की पूजा भी करते हैं

रविदास जयंती मनाने का सिर्फ यही उद्देश्य है कि गुरु रविदास जी को याद किया जा सके उनकी शिक्षा को उनके बलिदान को उनके इतिहास को याद किया जा सके जिन्होंने भाईचारे की नीव समाज में रखी थी उसको याद किया जाए और दुनिया वाले एक बार फिर से भाईचारे बनाकर रहने लगे।

रविदास स्मारक।

(Ravidas Memorial)

गुरु रविदास जी की याद में वाराणसी के अंदर बहुत सारे स्मारक बनाए गए हैं जैसे कि रविदास मेमोरियल गेट, रविदास नगर, रविदास घाट, रविदास पार्क इत्यादि।

निष्कर्ष।

इस लेख के अंदर हमने “गुरु रविदास जी का जीवन परिचय” का संपूर्ण वर्णन किया है उम्मीद करता हूं आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी से कुछ सीखने को मिला होगा अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और अपने मित्र अपने रिलेटिव्स के पास ज्यादा से ज्यादा इसको शेयर करें और जैसे संत रविदास जी कहते थे भाईचारा हमेशा बनाकर रखें जात पात जाति धर्म के नाम पर खिलवाड़ ना करें इन सभी बातों का भली-भांति स्मरण रखें।

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हजरत अली का जीवन परिचय। 

Hazrat Ali Biography

Hazrat ali biography in Hindi, hazrat ali ki shayari, quotes

“हजरत अली” का जन्म 17 मार्च 600 में हुआ था तकरीबन 1400 साल पहले जन्मे इब्रे अबी तालिब जिनको हम हजरत अली भी कहते हैं।

हजरत अली जी “पैगंबर मोहम्मद साहब” जी की बेटी के पति भी थे हजरत अली जी को पहले इस्लाम के साइंटिस्ट भी कहा जाता था यानी कि “इस्लामिक साइंटिस्ट” होने का उनको श्रेय प्राप्त था  

हम इस लेख के अंदर हजरत अली जी की जीवनी और उनके द्वारा बोली गई शायरियां के बारे में बताया है हजरत अली जी को पहले खलीफा और इस्लामिक इमाम (first islamic imam) होने की उपलब्धि प्राप्त है अब हजरत अली जी के जीवन परिचय पर भी एक नजर डाल लेते हैं।

हजरत अली की जीवनी। 

(Hazrat Ali Biography)

जब जब काबे की दीवार खुली उसके बाद मक्का के सभी लोगों को भोजन दिया जाने लगा ताकि अल्लाह को खुश करके काबे का दरवाजा खोला जा सके। 

के लोगों के लिए है बात आश्चर्यचकित करने वाली थी हजरत अली जी का जन्म काबा में हुआ था जो हजरत अली जी के माता पिता थे हजरत अली जी के पिता अबू तालिब और उनकी गर्भवती पत्नी फातिमा उन दोनों की इच्छा थी कि वह अपनी संतान को काबा में ही जन्म दे।

जो हजरत अली जी की मां थी जिनका नाम फातिमा था वह काबे के अंदर दाखिल हो गई थी और जब उनको लोगों ने देखा तो तब वह एक छोटे से बच्चे के साथ बाहर निकल रही थी फिर वहां की सभी औरतों ने फातिमा को चारों तरफ से घेर लिया बस उनके दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा था कि मैं फातिमा जी से पूछे कि उन्होंने अपनी संतान का क्या नाम रखा है।

हजरत अली का जीवन परिचय।

(Hazrat Ali Biography)

फिर उसी वक्त काबा में एक आकाशवाणी हुई थी जिसमें कहा गया था कि वह अपनी संतान का नाम अली रखें फिर हजरत अली जी के माता पिता ने उनका अच्छे से पालन पोषण किया

यह उस समय की बात है जब इस्लाम का इतना प्रचार नहीं हुआ था लोग इस्लाम से अपरिचित थे यहां तक कि उनके माता-पिता इस्लाम को खुद के मुंह में खाना चबाकर खिलाते थे जिससे उनके बेटे को खाना चबाने में कोई तकलीफ ना हो

और उस समय उनके अब्बू हजरत अली जी को एक गुफा में ले जाया करते थे जिसका नाम मेरा पार्टी था वह हीरा पहाड़ी की गुफा थी उस गुफा के बारे में सिर्फ दो लोग जानते थे उनके अब्बू और पैगंबर मोहम्मद।

फिर वहां पर एक अजीब सी रोशनी आई और एक खुशबू के साथ वहां पर अल्लाह का फरमान हुआ उन्होंने कहा अपने रिश्तेदारों को और परिवार को इस्लाम का न्योता दो।

फिर पैगंबर जी ने अपने सभी परिवार वालों को और रिश्तेदारों को घर पर खाना खाने के लिए बुलाया उनके बुलाने पर वहां कई लोग आए लेकिन खाना कम था लेकिन फिर भी लोगों ने भरपेट खाना खाया या ऊपर वाले का इत्तेफाक मान लीजिए ऊपर वाले की मर्जी।

फिर दावत देने के बाद पैगंबर जी ने कहा की अल्लाह के हुक्म से सभी को इस्लाम की दावत में हम ने बुलाया है।

फिर पैगंबर ने अपनी बात का अनुसरण करने वाले को खड़ा होने को कहा और उन्होंने बोला जो मेरी बात का अनुसरण करेगा वह हमारा उत्तराधिकारी बनेगा फिर उन्होंने तीन बार अपनी बात दोहराई तभी एक व्यक्ति खड़ा हुआ जिनका नाम था हजरत अली।

हजरत अली जी पहले उत्तराधिकारी और अनुयाई बने फिर उन्होंने अपनी सारी शक्ति अपनी सारी ऊर्जा मोहम्मद जी के साथ लगा दी और फिर हजरत अली जी ही पैगंबर जी के पहले उत्तराधिकारी और इमाम बने।

हुनैन की जंग। (Battle of hunayn)

battle of hunayn: जो हुनैन की जंग हुई थी उस जंग का इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण स्थान है इस्लाम के शुरुआती समय में इस युद्ध की विजय प्राप्ति के बाद इनकी पकड़ और ज्यादा मजबूत हो गई थी वहां पर ताइफ नामक एक स्थान है जो सऊदी अरब का एक हरा भरा क्षेत्र है।

इस क्षेत्र के अंदर अंगूर की ओर गुलाब की बहुत खेती की जाती है और इस क्षेत्र के अंदर सुन्नी मुस्लिम की ज्यादा आबादी थी इनके अलावा अलग देशों के लोग भी वहां पर प्रवासी बनकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे।

मुस्लिमों और ताइफ शहर के लोगों के बीच हुनैन उनकी बहुत जबरदस्त लड़ाई चली इस लड़ाई में मुस्लिमों की जीत हुई फिर वहां के सभी लोगों ने इस्लाम को कबूल कर लिया।

वहां पर अल्लात का मंदिर तोड़ दिया गया था फिर हुनैन उनकी जंग में दुश्मन की सेना ने मुसलमानों को घेर लिया था फिर सभी लोग वहां से अपनी जान बचाने के लिए वहां से भाग निकले इसी बीच वहां पर सिर्फ दो लोग जंग की भूमि पर डटे रहे थे जिनका नाम था पैगंबर मोहम्मद और हजरत अली।

उसके बाद हजरत अली जी ने मोर्चा संभाला और उनके सेनापति मरहब को मार गिराया और जो किले का दरवाजा था जिसको 25 लोग एक साथ खोलते थे उन्होंने वह दरवाजा उखाड़ कर अपना रक्षा कवच बनाया और फिर दुश्मनों पर टूट पड़े।

हजरत अली जी की शायरी 

(Hazrat Ali quotes, shayari)

  • हर व्यक्ति के तीन ही दुश्मन और दोस्त होते हैं तुम्हारा दोस्त दोस्त का दोस्त और उसका दोस्त दुश्मन भी इसी कर्म में बने होते होते हैं|

  • विनम्रता सबसे बड़ी मौन प्राथना हैं|

  • अगुली करना वो लोग अपनाते हैं जो स्वय को अच्छा और बेहतर बनाने में नाकाफी होते हैं|


  • अपने खुदा पर यकीन रखो डरो और बचो केवल बुरे कर्मो से|

  • हर व्यक्ति के तीन ही दुश्मन और दोस्त होते हैं तुम्हारा दोस्त दोस्त का दोस्त और उसका दोस्त दुश्मन भी इसी कर्म में बने होते होते हैं|


  • भरोसा और सब्र रखने भर से फतह हासिल हो सकती हैं|

  • जब दुनिया आपकों हराकर गिरा दे तो वह प्रेयर की सबसे अच्छी स्थति हैं|


  • हर व्यक्ति को सच्चाई अच्छे की तरफ ले जाति हैं और जन्नत का दरवाजा खोलती हैं|

  • भीख मागने से बदतर कोई कर्म इस दुनिया में नही हैं|


  • स्पष्ट मना कर देना हजारो झूट बोलने और प्रोमिश करने से हजार गुना अच्छा हैं|

निष्कर्ष।

उम्मीद करता हूं (hazrat Ali Biography) हजरत अली का जीवन परिचय के बारे में जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो कमेंट करके जरूर बताएं हम आपका आभार व्यक्त करेंगे। और इस जानकारी को आप अपने फ्रेंड्स के पास जरूर शेयर करे। 

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लता मंगेशकर का जीवन परिचय। आयु, जाति, मृत्यु | Lata Mangeshkar biography in hindi

लता मंगेशकर जी की आयु, माता पिता का नाम, परिवार, कमाई, जाती, जन्म, पहला गाना, पहली फिल्म, अंतिम सॉन्ग। 

लता मंगेशकर जी का जीवन परिचय और उनके प्रसिद्ध गाने पर दिए गए अवॉर्ड्स। Mangeshkar biography in Hindi. Song list, net worth, birth date, awards. इन सब की जानकारी दी गई है

Lata Mangeshkar biography in Hindi, लता मंगेशकर का जीवन परिचय


लता मंगेशकर का जीवन परिचय। 

(Lata Mangeshkar biography in hindi)

संगीत और सुरो की रानी लता मंगेशकर भारत के प्रसिद्ध कलाकारों में से एक है जो एक रत्न के रूप में मानी जाती है लता जी संगीत की वो रानी है जो अपनी आवाज की वजह से देश और विदेश हर जगह पर famous है 

वो अपनी आवाज की वजह से ही जाने जाते हैं लता मंगेशकर जी का जन्म गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है उन्होंने अपने जीवन काल में सबसे ज्यादा गाने का कर एक रिकॉर्ड बनाया है 

लता जी ने अपने जीवन काल में लगभग 30000 गाने विभिन्न भाषाओं में 1948 से लेकर 1987 तक गाय हैं लेकिन अब यह गाने 40000 का आंकड़ा भी पार कर चुके हैं लता जी की आवाज को सुनकर एक अमेरिका के वैज्ञानिक बोलते हैं कि ऐसी आवाज न तो किसी गायक की आज तक सुनी है और ना कभी सुनने को मिलेगी 

उन्होंने लता जी के मृत्यु के बाद उनके गले की जांच करने का भी प्रस्ताव रखा है उनका मानना है कि आखिर लता जी के गले में ऐसा क्या है जिसकी वजह से उनकी आवाज इतनी मधुर और सुरीली है आज भी सभी कलाकार लता जी को संगीत की देवी मानते हैं और उनको सादर नमन करते हैं।

लता मंगेशकर जी की जीवनी।

(Lata Mangeshkar biography)

नाम लता मंगेशकर
जन्म 28 सितम्बर 1929 इंदौर, मध्यप्रदेश
माता पिता का नाम शेवंती मंगेशकर, दीनानाथ मंगेशकर  
भाई बहन का नाम मीना, आशा, उषा व हृदानाथ
निधन 6 फ़रवरी 2022 मुंबई
आयु 92

लता मंगेशकर जी के पिता एक क्लासिकल संगीतकार थे जोकि मूवी थिएटर में कार्य करते थे लता जी गाना गाना अपने पिताजी से सीखा करती थी उनको यह विरासत में मिली थी।

लता मंगेशकर जी के करियर की शुरुआत।

(Lata Mangeshkar career starting)

लता मंगेशकर जी के करियर की शुरुआत महज 5 साल की उम्र में हो गई थी उन्होंने पहला कार्य अपने पिताजी के साथ एक नाटक में किया था उसके बाद मैं अभ्यास करती रही और फिर 1942 में महज 13 साल की उम्र में उन्होंने एक मराठी फिल्म के लिए अपनी आवाज में गाना रिकॉर्ड किया था 

फिर फिल्म रिलीज होने के बाद किसी कारणवश उस फिल्म से इनका गाना हटा दिया गया था और इस बात को लेकर लता जी बहुत ज्यादा दुख में थी और उसी साल लता मंगेशकर जी के पिता की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई थी लता मंगेशकर अपने घर में सभी भाई बहनों से बड़ी थी तो पिता के गुजर जाने के बाद सारी जिम्मेदारियां उनके ऊपर आ गई थी

विनायक दामोदर जी किसी फिल्म कंपनी के मालिक थे जोकि दीनानाथ जी के अच्छे मित्र विवाह करते थे दिना नाथ जी के जाने के बाद उन्होंने ही लता जी के परिवार को संभाला और पालन पोषण किया।

लता मंगेशकर का पहला गाना।

(Lata Mangeshkar first song)

फिल्म का नाम गाने के बोल सन
गजभाऊ (मराठी फिल्म) माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू (हिंदी गाना) 1943

1945 के दशक में लता मंगेशकर जी मुंबई आ गई थी फिर उन्होंने अमानत अली खान जी से गाने की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी फिर लता मंगेशकर जी ने 1947 में हिंदी फिल्म , आपकी सेवा में, एक गाना गाया था लेकिन उस समय किसी ने भी उनको नोटिस नहीं किया था उस समय में सिंगर नूर जहान, शमशाद बेगम और अंबलेवाली का दबदबा ज्यादा था 

उनकी यहीं गायिका पूर्णता सक्रिया थी। उनकी आवाज उस समय भारी थी जो अलग लगती थी उनके सामने लता मंगेशकर जी की आवाज थोड़ी दबी हुई लगती थी क्योंकि इनकी आवाज बहुत बारीक और सुरीली थी 

फिर उसके बाद लता मंगेशकर जी ने 4 हिट फिल्मों में 1949 में गाने गाए और उन सब फिल्मों में उनको नोटिस किया गया। अंदाज वह महल, दुलारी, बरसात फिल्मी हिट सीन मैं सेम महल फिल्म का गाना सुपरहिट हुआ था जो कुछ इस तरह था ,, आएगा आनेवाला ,, फिर उसके बाद लता मंगेशकर जी ने हिंदी सिनेमा में कदम जमा लिए थे।

लता मंगेशकर जी को मिले अवार्ड।

(Lata Mangeshkar got awards)

सिविलियन अवार्ड
  • 1969 में लता जी को पहली बार देश की सरकार द्वारा देश का 3rd नंबर के अवार्ड पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
  • 1989 में लता जी को हिंदी सिनेमा के सर्वोच्य अवार्ड दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया गया.
  • 1999 में लता जी को देश का 4th नंबर के अवार्ड पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.
  • 2001 में लता जी को देश का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न ने सम्मानित किया गया.
  • 2008 में लता जी को स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ पर one टाइम अवार्ड for लाइफटाइम अचिवेमेंट्स के लिए देश की सरकार द्वारा सम्मानित किया गया.
नेशनल फिल्म अवार्ड
  • परिचय (1972) – बेस्ट प्लेबैक सिंगर
  • कोरा कागज (1974) – बेस्ट प्लेबैक सिंगर
  • लेकिन (1990) – बेस्ट प्लेबैक सिंगर
फिल्म फेयर अवार्ड फिल्म फेयर अवार्ड में पहले प्लेबैक सिंगर के लिए अवार्ड नहीं होता था, लता जी ने इसका विरोध किया और 1958 से यह अवार्ड जोड़ा गया. इसके बाद लता जी को 6 बार इस अवार्ड से सम्मानित किया गया.

यह सभी अवॉर्ड्स तो लता मंगेशकर जी को मिले ही थे लेकिन इनके अलावा भी बहुत से अवॉर्ड्स लता मंगेशकर जी को मिल चुके हैं और महाराष्ट्र की सरकार द्वारा उनको महाराष्ट्र भूषण और महाराष्ट्र रत्न से भी नवाजा गया था और इस सबके अलावा भी लता मंगेशकर जी को डेढ़ सौ गोल्ड मेडल और ढाई सौ ट्रॉफी प्राप्त हैं।

लता मंगेशकर जी का फिल्मी करियर।

(Lata Mangeshkar fimly career)

लता मंगेशकर जी ने सभी बड़े निर्देशकों और निर्माताओं के साथ मिलकर काम किया है नूरजहां की तरह गाने की कोशिश किया करती थी फिर धीरे-धीरे समय के साथ लता मंगेशकर जी ने अपनी आवाज को ही पहचान बना कर बुलंदियों पर पहुंचा दिया।

मदद मोहन, अनिल विश्वास, नौशाद अली, शंकर, जयकिशन, एसडी बर्मन जैसे महान म्यूजिक के डायरेक्टरों के साथ मिलकर काम किया। 

लता कर जी के आने के बाद जो फिल्म इंडस्ट्री हैं उन सभी का मेक ओवर हो गया फिर फिल्मों के अंदर गानों को नयापन मिला। उसके बाद लता मंगेशकर जी की छोटी बहन भी फिल्मी दुनिया में आ गई जिनका नाम आशा जी है 

लेकिन इन दोनों बहनों की आवाज में बहुत ज्यादा अंतर था लेकिन वह दोनों एक जगह ही काम करती थी इसलिए उनकी तुलना बहुत की जाती थी लेकिन दोनों बहनों ने कभी भी है काम को रिश्तो के बीच में नहीं आने दिया। 

लता मंगेशकर जी ने मोहम्मद रफी, किशोर वह मुकेश जी के साथ मिलकर बहुत सारे गाने गए जब भी ऐसा सुनने को मिलता था कि लता जी का गाना आया है तो लोगों की लालसा उनको सुनने के लिए बड़ी जाती थी।

 एसडी बर्मन, मोहम्मद रफी के साथ इनकी कुछ अनबन हो गई उसके चलते इन्होंने मोहम्मद रफी और एसडी बर्मन जी के साथ कार्य करने से मना कर दिया उसके बाद जो उनका मोहम्मद रफी जी के साथ मनमुटाव था उसको जयकिशन संगीतकार जी ने ठीक किया फिर सन 1972 के बाद उन दोनों ने कभी भी साथ मिलकर काम नहीं किया।

लता मंगेशकर जी के 1960 के प्रसिद्ध फिल्म के गाने।

(Lata Mangeshkar 1960 hit songs)

. मुग़ल ए आजम (1960) प्यार किया तो डरना क्या
2. दिल अपना प्रीत पराई (1960) अजीब दास्ताँ है ये
3. गाइड(1965)
  • आज फिर जीने की तम्मना है
  • गाता रहे मेरा दिल (किशोर कुमार जी के साथ)
4. ज्वेल थीफ(1967) होंठो पे ऐसी बात

इन सभी फिल्मों के गाने आज भी लोग बहुत ज्यादा पसंद और याद करते हैं और यह बहुत ज्यादा सुनने भी जाते हैं और इन सबके अलावा 

  • भूत बंगला 1965
  • पति पत्नी 1966
  • बहारों के सपने 1968
  • अभिलाषा 1969

जैसी फिल्मों के अंदर भी इन के गाने बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हुए थे और उस समय में सन 1963 में लता मंगेशकर जी ने देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी के सामने अपना सबसे मनपसंद गाना ,,यह मेरे वतन के लोगों,, गाया था और यह गाना सुनकर जवाहरलाल नेहरू जी के आंसू आ गए थे।

लता मंगेशकर जी के 1970 की प्रसिद्ध फिल्म के गाने।

(Lata Mangeshkar 1970 hit songs)

पाकीज़ा (1972)
  • इन्हीं लोगों ने
  • चलते चलते
प्रेम पुजारी (1970) रंगीला re
शर्मीली (1971) खिलते है गुल यहाँ
अभिमान (1973)
  •  पिया बिना
  • तेरी बिंदिया रे
परिचय(1973) बीती ना बिताई
नीलू कादली चेकाडली
कोरा कागज रूठे रूठे पिया
सत्यम शिवम् सुदरम सत्यम शिवम् सुदरम
रुदाली दिल हुम हुम करे

यह सब उनके 1970 की प्रसिद्ध फिल्म के गाने हैं और इस समय में लता मंगेशकर जी को दो नेशनल अवार्ड से भी नवाजा गया था और इन सबके अलावा लता मंगेशकर जी विदेशों में लाइव कंसर्ट भी करती थी।

लता मंगेशकर जी के 1980 की प्रसिद्ध फिल्मों के गाने।

(Lata Mangeshkar 1980 hit songs)

  • सिलसिला
  • राम लखन
  • एक दूजे के लिए
  • चांदनी
  • मैने प्यार किया 
  • हीरो

मंगेशकर जी के 1990 की प्रसिद्ध फिल्मों के गाने।

(Lata Mangeshkar 1990 hit songs)

  • दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे।
  • हम आपके है कोन।
  • वीर जारा।
  • डर।
  • लेकिन
  • दिल तो पागल है।
  • मोहब्बतें।
  • लम्हे।

इस दौरान लता मंगेशकर जी अपने खराब स्वास्थ्य के चलते हुए ज्यादा फिल्मों में काम नहीं कर पाई सन 2000 के बाद लता मंगेशकर जी ने बहुत कम गाने का है जिसमें ओ पालनहारे, लगान, रंग दे बसंती, बेवफा, लुका छुपी, कैसे पिया से कहे, शामिल हैं।

लता मंगेशकर जी कोरोना पॉजिटिव।

(Lata Mangeshkar health report corona positive)

हाली में मिली खबर के अनुसार लता मंगेशकर जी का स्वास्थ्य बहुत खराब हो गया, जिसके चलते उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है। जिसके बाद उनको मुंबई के हॉस्पिटल ब्रिचकेंडी एडमिट किया गया है हम सब उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

देखा जाए तो लता मंगेशकर जी का स्वास्थ्य काफी दिन से खराब चल रहा था उनको सांस की बीमारी थे जिसके चलते उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इसी को लेकर डॉक्टर्स का कहना है कि उनकी हालत काफी नाजुक है इसी को देखते हुए उनको लाइफ सपोर्ट सिस्टम में भी रखा गया है हम उनके स्वास्थ्य की कामना करते हैं और प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि जल्द से जल्द अच्छी हो जाए।

लता मंगेशकर जी एक लीजेंड वूमेन है जिनके ऊपर हर भारतवासी को गर्व होता है और यह भी सुनने में आता है कि लता मंगेशकर जी क्रिकेट की बहुत बड़ी फैन है और उनके सबसे पसंदीदा खिलाड़ी का नाम है सचिन तेंदुलकर और सचिन तेंदुलकर भी उनका अपनी मां सामान मानते हैं लता मंगेशकर जी के नए-नए गाने सुनने के लिए हम बहुत बेकरार हैं उम्मीद करते हैं कि वह जल्द से जल्द अच्छे हो जाएं और जल्दी हमें उनको सुनने का मौका मिले। 

निष्कर्ष।

यह था लता मंगेशकर का जीवन परिचय (Lata Mangeshkar biography in Hindi) जिसमें हमने आपको लता मंगेशकर जी के बारे में सभी जानकारियां देती हैं आशा करता हूं आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। 

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